यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी में ज्यादातर उम्मीदवार अपना अधिकांश ध्यान सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1 पर ही लगाते है। इस प्रक्रम में वे भूल जाते है कि उन्हे द्वितीय पेपर अर्थात सीसैट को भी हल्के में नहीं लेना है, भले ही ये पेपर क्वालिफाईंग हो किन्तु जरा सी लापरवाही आपके मेहनत को मिट्टी में मिला सकती है। बेहतर यही होगा कि अभ्यर्थी सीसैट परीक्षा की तैयारी भी अपने सामान्य अध्ययन विषयों के साथ-साथ करते रहें। इसी क्रम में हमारा यह लेख आपके सीसैट परीक्षा के पाठ्यक्रम के टॉपिक Interpersonal skills including communication skills के संदर्भ में लिखा गया है। इस लेख में आप सम्प्रेषण एवं इसके प्रक्रम तथा सम्प्रेषण के प्रकार (Types of Communication) के विषय में समझेंगे। उम्मीद है प्रस्तुत लेख आपके यूपीएससी और State PCS के सीसैट (Csat) परीक्षा हेतु उपयोगी सिद्ध होगी।
सम्प्रेषण एवं इसके प्रक्रम | Communication in Hindi
- सम्प्रेषण अर्थपूर्ण संदेशों के पारस्परिक आदान-प्रदान की एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य आपसी समझ उत्पन्न करना एवं पारस्परिक प्रभाव डालना है।
- सम्प्रेषण में संवाद स्थापित करने के लिए प्रेषक संदेश को इनकोडिंग करके प्रेषित करता है, जिसकों रिसीवर संचार के एक चैनल का चयन कर संदेश प्राप्त करता है एवं उसकी डिकोडिंग करता है, और अंतिम चरण में सूचना प्राप्त होने के पश्चात प्रतिक्रिया (Feedback) देता है।
क्रमबद्ध चरण |
- 'सम्प्रेषण' सफल तभी कहा जा सकता है, जब प्रेषक तथा प्राप्तकर्ता दोनों सक्रिय हो एवं प्रेषक द्वारा प्रेषित सूचना का वांछित संदर्भ प्राप्तकर्ता ग्रहण कर ले।
- रुचि का अभाव, कठिन भाषा का प्रयोग, शोर, पूर्वाग्रह, अनुपयुक्त माध्यम सम्प्रेषण के बाधक तत्व है। जब कि सक्रिय श्रवण, सफल सम्प्रेषण के अंतर्गत आता है।
- सम्प्रेषण, मौखिक व अमौखिक दोनों प्रकार का संदेश हो सकता है।
- 'मिलेट' ने संचार को 'प्रशासनिक संगठनों की रक्तधारा' बताया है।
- 'पिफनर' के अनुसार संचार 'प्रबंध का हृदय' है।
सम्प्रेषण के प्रकार | Type of Communication
सामान्यतः सम्प्रेषण लम्बवत और क्षैतिज प्रकार का होता है।
1) लम्बवत सम्प्रेषण (Vertical Communication) :
- इसके अंतर्गत निम्न स्तर से उच्च स्तर तक सीधा संवाद कायम रहना अनिवार्य होता है।
- लम्बवत सम्प्रेषण को अध्ययन की दृष्टि से अधोमुखी/अधोगामी तथा ऊर्ध्वमुखी/ऊर्ध्वगामी दो प्रकार से वर्गीकृत किया गया है।
- अधोमुखी सम्प्रेषण के अंतर्गत विचारों या सूचनाओं को उच्च स्तर से निम्न स्तर (अधीनस्थों) के तरफ संचारित किया जाता है।
- ऊर्ध्वमुखी सम्प्रेषण के अंतर्गत विचारों या सूचनाओं को निम्न स्तर से उच्च स्तर के तरफ संचारित किया जाता है।
2 ) क्षैतिज सम्प्रेषण (Horizontal Communication) :
- क्षैतिज सम्प्रेषण समान स्तर के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मध्य होने वाला संचार है।
- इसमे परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया और सहयोगी भावना निहित होती है। इसे 'पार्श्विक सम्प्रेषण' (Across Communication) भी कहते है।
शाब्दिक सम्प्रेषण एवं अशाब्दिक सम्प्रेषण :
- जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी विषय पर वार्तालाप करते है, तो यह वार्तालाप शाब्दिक सम्प्रेषण कहलाता है। एकाँकी, कहानी, नाटक इत्यादि में इसका विशेष महत्व है। उदाहरण के लिए - 'प्रोफेसर गौतम ने अपना व्याख्यान कक्षा में दिया।'
- 'अशाब्दिक सम्प्रेषण' में भाषा का प्रयोग न करके वाणी, संकेत, आँख-मुह आदि का हाव-भाव से संवाद स्थापित किया जाता है।
सम्प्रेषण में KISS का नियम
- KISS का आशय है - Keep it Short & Simple
- अर्थात किसी बात को जटिलता से रखने के बजाय संक्षिप्त एवं सरल तरीके से प्रस्तुत करना ही KISS का नियम है।
संचार के तत्व | Elements of Communication
- सम्प्रेषण या सूचनादाता (Sender)
- सूचना या जानकारी (Message)
- सूचना का माध्यम अथवा विधि (Medium)
- सूचना प्राप्तकर्ता (Receiver)
- प्रत्युत्तर व वांछित प्रक्रिया (Feedback)