छठी शताब्दी ईसा पूर्व छोटे-छोटे जनपदों को मिलाकर महाजनपदों का निर्माण शुरू हुआ। महाजनपदों का उल्लेख बौद्ध ग्रंथ 'अंगुत्तर निकाय' तथा जैन ग्रंथ 'भगवती सूत्र' में मिलता है। बौद्ध ग्रंथ 'अंगुत्तर निकाय' तथा जैन ग्रंथ 'भगवती सूत्र' में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।
- बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय में इन 16 महाजनपदों का वर्णन इस प्रकार है - अंग, मगध, काशी, कोशल, वज्जि, मल्ल, चेदि, वत्स, कुरु, पांचाल, मत्स्य, शूरसेन, अश्मक, अवन्ति, गांधार, कम्बोज।
- जैन ग्रंथ 'भगवती सूत्र' में इसका वर्णन इस प्रकार है - अंग, बंग, मगध, मलय, मालव, अच्छ, वच्छ, कच्छ, पाध, लाध, वज्जि, मोलि, काशी, कोशल, हवास, समुतर।
- अतः इन दोनों सूचियों में अंग, मगध, काशी, वत्स, वज्जि और कोशल समान है।
- इन सोलह महाजनपदों में अश्मक, अवन्ति, गांधार, कम्बोज, चेदि एवं मत्स्य को छोडकर शेष 10 महाजनपद गंगा घाटी में स्थित है।
- इन सोलह महाजनपदों में वज्जि तथा मल्ल गणतन्त्र थे जब कि शेष राज्य में राजतंत्र था।
- पाणिनी ने अपने पुस्तक अष्टध्यायी में 22 महाजनपदों का उल्लेख किया है, इनमें प्रमुख है - मगध, अश्मक, कम्बोज, गांधार, शूरसेन आदि। इन 22 महाजनपदों में चेदि और वत्स का उल्लेख नहीं मिला है।
सोलह महाजनपद
(16 Mahajanapada)
(16 Mahajanapada)
No. | महाजनपद | राजधानी |
---|---|---|
1. | मगध | गिरिव्रज (राजगृह) |
2. | वज्जि | विदेह एवं मिथिला |
3. | अंग | चम्पा |
4. | काशी | वाराणसी |
5. | मल्ल | कुशीनगर |
6. | कोशल | श्रावस्ती |
7. | कुरु | इंद्रप्रस्थ |
8. | वत्स | कौशांबी |
9. | शूरसेन | मथुरा |
10. | पांचाल | अहिच्छत्र (उत्तरी पांचाल) , कांपिल्य (दक्षिणी पांचाल) |
11. | चेदी | शक्तिमती |
12. | मत्स्य | विराट नगर |
13. | अवन्ति | उज्जयिनी (उत्तरी अवन्ति) , महिष्मती (दक्षिणी अवन्ति) |
14. | अश्मक | पोतन/पोटली |
15. | गांधार | तक्षशिला |
16. | कम्बोज | हाटक/राजपुर |
मगध राजवंश (Magadh Dynasty)
- मगध साम्राज्य का भारत में शासन काल 684 BC – 320 BC तक माना जाता है।
- मगध साम्राज्य पर 544 BC से 322 BC तक शासन करने वाले तीन राजवंश थे।
- हर्यंक वंश (544 BC से 412 BC )
- शिशुनाग वंश (412 BC से 344 BC )
- नन्द वंश (344 BC से 323 BC )
- 323 ईसा पूर्व में नन्द वंश के अंतिम शासक घनानन्द को मारकर चन्द्रगुप्त मौर्य ने मगध साम्राज्य पर मौर्य वंश का स्थापना की।
हर्यंक वंश (Haryaka Dynasty)
- बिम्बिसार
- अजातशत्रु
- उदायिन
- नागदशक
- हर्यक वंश की स्थापना 'बिम्बिसार' ने 544 ईसा पूर्व किया।
- मत्स्य पुराण में बिम्बिसार का नाम 'क्षत्तोजस' बताया गया है।
- जैन साहित्य में बिम्बिसार को 'श्रेणिक' कहा गया है।
- अजातशत्रु (492 से 460 ईसा पूर्व) - बिम्बिसार की हत्या कर अजातशत्रु मगध के सिंहासन पर बैठा। इसीलिए इसे पितृहंता भी कहते है।
- अजातशत्रु का नाम कुणिक भी था।
- अजातशत्रु ने रथमूसल तथा महाशिलाकंटक नामक नए हथियारों का उपयोग किया।
- अजातशत्रु ने पूर्वी भारत पर मगध का आधिपत्य स्थापित करने के लिए वैशाली के लिच्छवियों के साथ 16 वर्षों तक युद्ध किया और 16 वर्षों बाद वह लिच्छवियों को पराजित कर पाया।
- अजातशत्रु के समय ही लगभग 483 ईसा पूर्व में राजगृह के सप्तपर्णी गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति सम्पन्न हुई।
- अजातशत्रु के उपरांत 'उदायिन', हर्यक वंश का तीसरा उत्तराधिकारी बना।
- उदायिन ने पाटलीपुत्र की नींव रखी और राजधानी को राजगृह से पाटलीपुत्र स्थानांतरित किया। उदायिन जैन धर्म का अनुयायी था।
- मेगस्थनीज ने अपने पुस्तक इंडिका में पाटलीपुत्र को पोलिब्रोथा नाम से पुकारा है।
- बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार उदायिन के तीन पुत्र अनिरुद्ध, मंडक और नागदशक थे। उदयिन के बाद उसके पुत्रों ने शासन किया। इस प्रकार हर्यक वंश का अंतिम शासक नागदशक था।
- जैन ग्रंथ 'परिशिष्टपर्वन' में हर्यक वंश के अंतिम शासक नागदशक को 'दर्शक' कहा गया है।
- नागदशक की हत्या कर उसका सेनापति शिशुनाग ने शिशुनाग वंश की स्थापना की।
शिशुनाग वंश
(Shishunag Dynasty)
(Shishunag Dynasty)
- शिशुनाग
- कालाशोक
- शिशुनाग वंश की स्थापना 412 ई.पू. में हुई।
- शिशुनाग के समय अवन्ति महाजनपद पर मगध का अधिकार हो गया और इस प्रकार मगध साम्राज्य की पश्चिमी सीमा मालवा तक जा पहुची।
- शिशुनाग ने वैशाली को अपनी राजधानी बनाई।
- शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालाशोक बना।
- कालाशोक ने 383 ईसा पूर्व में वैशाली में दूसरी बौद्ध संगीति का आयोजन करवाया।
- बाणभट्ट रचित हर्षचरित के अनुसार महापद्यनन्द ने कालाशोक की हत्या कर दी और इस प्रकार 366 ईसा पूर्व में कालाशोक की मृत्यु हो गई और नन्द वंश की स्थापना हुई।
नन्द वंश (Nanda Dynasty)
- महापद्मनन्द
- घनानन्द
- नन्द वंश के संस्थापक महापद्मनन्द को सर्वक्षत्रांतक (पुराण ) या दूसरा परशुराम और उग्रसेना (एक बड़ी सेना का स्वामी ) के नाम से भी जाना गया।
- महापद्मनन्द को पुराणों में एक्राट (एकमात्र सम्राट) के नाम से भी जाना गया।
- घनानन्द नन्द वंश का अंतिम शासक था। घनानन्द को यूनानी पुस्तकों में अग्राम्मेस या क्षाण्ड्रेमेस भी कहा गया है।
- घनानन्द के शासन काल के दौरान सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था।
- घनानन्द को पराजित करके चन्द्रगुप्त मौर्य ने मौर्य वंश की स्थापना की।
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वज्जि महाजनपद
(Vajji Mahajanapada)
वज्जि महाजनपद
(Vajji Mahajanapada)
(Vajji Mahajanapada)
- वज्जि महासंघ वास्तव में कई गणराज्यो से मिलकर बना था।
- लिच्छवि, वज्जि महासंघ का ही हिस्सा था। लिच्छवि को विश्व के प्रथम गणतन्त्र के रूप में जाना जाता है।
- वज्जि संघ में संभवतः आठ गणराज्य थे, इसमे आधुनिक बिहार के मुजफ्फरपुर, चंपारण, सारण तथा दरभंगा जिला शामिल है।
- कौटिल्य ने लिच्छवी राज्य का उल्लेख 'राजशब्दोपजीवी संघ' के रूप में किया है।
- वज्जि महासंघ की राजधानी वैशाली था। वैशाली को आगे चलकर अजातशत्रु ने मगध साम्राज्य में मिला लिया।
- द्वितीय बौद्ध संगीति वैशाली में ही हुई थी।
अंग महाजनपद
(Anga Mahajanapada)
(Anga Mahajanapada)
- अंग महाजनपद वर्तमान बिहार के भागलपुर और मुंगेर ज़िलों के क्षेत्र में अवस्थित था।
- अंग महाजनपद की राजधानी चंपा थी।
- आज भी भागलपुर के एक मुहल्ले का नाम चंपानगर है।
काशी महाजनपद
(Kashi Mahajanapada)
(Kashi Mahajanapada)
- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत के सोलह महाजनपदों में से एक काशी अपने सूती और रेशमी कपड़ों के लिए विश्वप्रसिद्ध था।
मल्ल महाजनपद
(Malla Mahajanapada)
(Malla Mahajanapada)
- मल्ल महाजनपद के अंतर्गत वर्तमान उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले का क्षेत्र आता था।
- कुशीनगर मल्ल महाजनपद का ही हिस्सा था।
- मल्ल महाजनपद के कुशीनगर में ही बुद्ध को महापरिनिर्वाण (देहांत) की प्राप्ति हुई थी।
कोशल महाजनपद
(Kosla Mahajanapada)
(Kosla Mahajanapada)
- कोशल महाजनपद की राजधानी श्रावस्ती थी।
- कोशल महाजनपद के अंतर्गत अयोध्या क्षेत्र आता है। रामायण के अनुसार राजा राम इसी महाजनपद के सम्राट थे।
- पतंजलि के महाभाष्य से कोशल महजनपद की राजधानी साकेत का उल्लेख मिलता है।
कुरु महाजनपद
(Kuru Mahajanapada)
कुरु महाजनपद
(Kuru Mahajanapada)
(Kuru Mahajanapada)
- कुरु महाजनपद के अंतर्गत वर्तमान भारत के मेरठ और दिल्ली का क्षेत्र आता था।
- कुरु की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी।
वत्स महाजनपद
(Vatsa Mahajanapada)
वत्स महाजनपद
(Vatsa Mahajanapada)
(Vatsa Mahajanapada)
- वत्स महाजनपद के अंतर्गत वर्तमान उत्तरप्रदेश के प्रयागराज और कौशांबी के क्षेत्र आते थे।
- उदयन-वासवदत्ता की दंतकथा में वत्स के राजा उदयन और उज्जैन की राजकुमारी वासवदत्ता के प्रेम कथा का वर्णन मिलता है।
- वासवदत्ता अवन्ति (उज्जैन) के राजा चण्डप्रद्योत की पुत्री थी।
- वासवदत्ता, वत्स के राजा उदयन के वीणा वादन से इतना मोहित हुई कि उससे प्रेम करने लगी, इसका वर्णन महाकवि भास ने अपने नाटक 'स्वप्नवासवदत्ता' में किया है।
पांचाल महाजनपद
(Panchala Mahajanapada)
पांचाल महाजनपद
(Panchala Mahajanapada)
(Panchala Mahajanapada)
- पांचाल महाजनपद के अंतर्गत आधुनिक रूहेलखण्ड क्षेत्र के के बरेली, बदायूँ, और फर्रुखाबाद आते है।
चेदि महाजनपद
(Chedi Mahajanapada)
चेदि महाजनपद
(Chedi Mahajanapada)
(Chedi Mahajanapada)
- चेदि महाजनपद के अंतर्गत आधुनिक बुंदेलखंड (झाँसी, उरई, ललितपुर) का क्षेत्र आता है।
- कलिंग का राजा खारवेल, चेदि वंश का ही शासक था।
मत्स्य महाजनपद
(Matsya Mahajanapada)
मत्स्य महाजनपद
(Matsya Mahajanapada)
(Matsya Mahajanapada)
- मत्स्य महाजनपद का क्षेत्र वर्तमान में पूरी तरह से राजस्थान प्रांत में है।
- इसकी राजधानी विराटनगर थी।
अश्मक महाजनपद
(Asmak Mahajanapada)
अश्मक महाजनपद
(Asmak Mahajanapada)
(Asmak Mahajanapada)
- अश्मक महाजनपद गोदावरी नदी (आन्ध्र प्रदेश) के तट पर अवस्थित था।
- अश्मक एक मात्र महाजनपद था जो दक्षिण भारत में अवस्थित था।
कम्बोज महाजनपद
(Kamboj Mahajanapada)
कम्बोज महाजनपद
(Kamboj Mahajanapada)
(Kamboj Mahajanapada)
- प्राचीन भारत में उत्तर-पश्चिम में स्थित कम्बोज महाजनपद अच्छे घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था।
- कम्बोज की राजधानी हाटक या राजपुर था।
अवन्ति महाजनपद
(Avanti Mahajanapada)
अवन्ति महाजनपद
(Avanti Mahajanapada)
(Avanti Mahajanapada)
- छठी शताब्दी ईसा पूर्व अवन्ति पश्चिमी तथा मध्य मालवा क्षेत्र में फैला था, यह क्षेत्र वर्तमान के मध्य प्रदेश प्रांत में आता है।
- उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी तथा दक्षिणी अवन्ति की राजधानी महिष्मती थी। दोनों राजधानीयों के बीच में वेत्रवती नदी बहती थी।
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