पर्यावरणीय संगठन (Environmental Organizations) वह संगठन हैं जो प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, प्रबंधन, और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य के साथ काम करते हैं। इन संगठनों का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के पर्यावरण को सुरक्षित रखना, प्राकृतिक संसाधनों का स्वस्थ और विवेकपूर्ण उपयोग करना, और मानव को समृद्धि के साथ जीने की क्षमता प्रदान करना होता है। ये संगठन विभिन्न क्षेत्रों में अपने कार्यों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में योगदान करते हैं, जैसे कि:-
- वन्यजीव संरक्षण संगठन: ये संगठन वन्यजीवों जैसे कि बाघ, हाथी, हिरण, पक्षियों, आदि की सुरक्षा और उनके निवास स्थानों की रक्षा के लिए काम करते हैं। उनका उद्देश्य वन्यजीवों के प्रजनन को बढ़ावा देना है और उनकी खतरे से बचाव करना है।
- जल संरक्षण संगठन: इन संगठनों का मुख्य उद्देश्य जल संसाधनों की सुरक्षा, जल सफाई, और जल संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाना होता है। इसमें जल संरक्षण, जल सफाई, और जल संबंधित अन्य कार्य शामिल होते हैं।
- प्रदूषण नियंत्रण संगठन: इन संगठनों का काम वायु, जल, और भूमि प्रदूषण को नियंत्रित करना है। वे नए प्रदूषण कम करने के उपायों की तलाश करने और इस प्रदूषण को रोकने के लिए सरकारी नीतियों की समीक्षा करते हैं।
पर्यावरण से संबन्धित अंतर्राष्ट्रीय संगठन एवं सम्मेलन |
- जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संरक्षण संगठन: इन संगठनों का मुख्य ध्यान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मूल्यांकन और ऊर्जा संरक्षण के उपायों का अनुसंधान है। वे सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को ध्यान में रखते हैं और साइंटिफिक और तकनीकी उन्नति को समर्थन करते हैं।
- पर्यावरण शिक्षा संगठन: इन संगठनों का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षा देना है। वे समुदायों में पर्यावरण जागरूकता फैलाने का कार्य करते हैं और लोगों को सही दिशा में प्रेरित करते हैं।
- इन संगठनों का सहयोग और समर्थन हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणिक स्तरों पर समृद्धि की दिशा में काम करते हैं।
बर्ड लाइफ इंटरनेशनल
(Birdlife International)
- बर्ड लाइफ इन्टरनेशनल प्रकृति संरक्षण साझेदारों का सबसे बड़ा तथा सबसे पुराना स्वतंत्र, गैर-सरकारी और गैर-लाभकारी वैश्विक संगठन है।
- इसकी स्थापना 1922 में 'पक्षी संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय समिति' के रूप में की गयी।
- 1933 में इस संस्था का नाम बर्ड लाइफ इन्टरनेशनल रखा गया।
- भारत में इसकी मुख्य सहयोगी संस्था 'बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी' (BNHS) है।
- इस संस्था का दृष्टिकोण 'स्थानीय से वैश्विक' (Local to Global) है।
- वर्तमान में इसके 120 से अधिक सरकारी और गैर-सरकारी सहयोगी संगठन है।
International Union for Conservation of Nature
(IUCN)
- इसकी स्थापना अक्टूबर 1948 को हुई।
- यह यूनियन, सरकारों तथा नागरिकों दोनों से मिलकर बना है अर्थात यह सरकारी तथा गैर-सरकारी दोनों प्रकार के सदस्यों से मिलकर बना है।
- IUCN संयुक्त राष्ट्र महासभा का पर्यवेक्षक का दर्जा (Observer Status) प्राप्त एक मात्र गैर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- IUCN संयुक्त राष्ट्र का अंग नहीं है।
- इसका अन्य नाम World Conservation Union भी है।
- इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विट्जरलैंड) में है।
- आईयूसीएन 1963 के बाद से हर तीसरे वर्ष 'रेड डाटा बुक' (Red Data Book) जारी करता है।
- रेड डाटा बुक में संकट ग्रस्त जीव-जंतुओं की सूची होती है।
- आईयूसीएन जैव-विविधता संरक्षण के अलावा 4 अन्य क्षेत्रों पर भी कार्य करता है।
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
- संपोषणीय ऊर्जा (Sustainable Energy)
- हरित अर्थव्यवस्था (Green Economy)
- आजीविका (Livelihood)
- पेरिस समझौता तथा सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में IUCN की महत्वपूर्ण भूमिका है।
World Wildlife Fund
(WWF)
- World Wildlife Fund for Nature एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी तथा गैर-लाभकारी संगठन है।
- इसकी स्थापना 1961 में स्विट्जरलैंड के मोजेंस में एक चेरिटेबल ट्रस्ट के रूप में हुई।
- इस संगठन का स्लोगन 'फॉर ए लिविंग प्लेनेट' है।
- World Wildlife Fund द्वारा पृथ्वी को बचाने तथा जलवायु परिवर्तन संबन्धित जागरूकता फैलाने के लिए 'पृथ्वी काल' (Earth Hour) नामक आंदोलन का आयोजन किया जाता है।
- 'पृथ्वी काल' (Earth Hour) नामक आंदोलन के अंतर्गत प्रतिभागी प्रतिवर्ष मार्च महीने के अंतिम शनिवार की रात को 8:30 से 9:30 बजे तक एक घंटे के लिए बिजली बंद कर देते है।
- इस संगठन का लक्ष्य वन्यजीवों की रक्षा तथा पर्यावरण पर मानवीय दुष्प्रभावों को घटाना है।
- इसके अलावा WWF अलवण जलीय पारितंत्र (Freshwater Ecosystem) , महासागरों तथा जलवायु परिवर्तन पर भी कार्य करता है।
Green Peace
- यह एक गैर-सरकारी स्वतंत्र वैश्विक संगठन है जिसका स्थापना 1971 में हुआ था।
- इसका मुख्यालय एम्सटर्डम (नीदरलैंड) में है।
- इस संगठन का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण तथा विकास को बढ़ावा देना है।
- इस संगठन का मूल लक्ष्य जैव-विविधता का संरक्षण करना, प्रदूषण से बचाव करना, निशस्त्रीकरण तथा शांति स्थापित करने हेतु प्रयास करना है।
स्टॉकहोम सम्मेलन
(Stockholm Convention)
- इसका औपचारिक नाम - मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन है।
- इस सम्मेलन का आयोजन 5 जून 1972 को स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुआ था।
- इसी कारण 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
- पहला विश्व पर्यावरण दिवस 1974 में मनाया गया।
- इस सम्मेलन के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की स्थापना की गयी।
- स्टॉकहोम घोषणा पर्यावरण संरक्षण तथा सतत विकास से संबन्धित है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
(UNEP)
- The United Nations Environment Programme (UNEP) का गठन स्टॉकहोम सम्मेलन 1972 के फलस्वरूप हुआ।
- UNEP का मुख्यालय नैरोबी(केन्या) में है।
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय पैनल (IPCC) का गठन विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और UNEP (United Nations Environment Programme) ने मिलकर किया था।
- ग्लोबल-500 पुरस्कार की स्थापना 1987 में UNEP द्वारा ही किया गया।
UNEP के दसवर्षीय सम्मेलन
- 1972 : स्टॉकहोम सम्मेलन
- 1982 : नैरोबी (केन्या)
- 1992 : रियो-डी-जेनेरियों (ब्राज़ील) - पृथ्वी सम्मेलन-1
- 2002 : जोहान्सबर्ग (दक्षिण अफ्रीका)
- 2012 : रियो-डी-जेनेरियों (ब्राज़ील) - पृथ्वी सम्मेलन-2
UNEP द्वारा प्रमुख रिपोर्ट
- उत्सर्जन गैप रिपोर्ट (Emissions Gap Report)
- वैश्विक पर्यावरण आउटलूक
- इन्वेस्ट इन टू हेल्थी प्लेनेट
- मेकिंग पीस विथ नेचर
UNEP द्वारा प्रदान किया जाने वाला अवार्ड
- Champions of the Earth
- Young Champions of the Earth
- Global-500
साइट्स
(CITES)
- CITES (The Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसे IUCN के वाशिंगटन सम्मेलन (1973) के अंतर्गत हस्ताक्षरित किया गया।
- यह कन्वेन्शन 1975 से लागू हुआ।
- भारत 1976 में इस समझौते का सदस्य बना।
- इस समझौते के नवीनतम सदस्य (183वें) के रूप में टोंगा (Tonga) नामक देश 2016 में शामिल हुआ।
- CITES के विनियमन के आधार पर प्रजातियों को तीन परिशिष्टों (Appendices) में बांटा गया है।
- इस समझौते का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जंगली जानवरों एवं पौधों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से उनके अस्तित्व पर खतरा न हो।
रामसर सम्मेलन का परिचय एवं उद्देश्य
(Ramsar Convention in Hindi)
- सन् 1971 में कैस्पियन सागर के निकट ईरान में स्थित रामसर में एक अंतरसरकारी और बहुउद्देशीय सम्मेलन हुआ।
- इस सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर आद्रभूमियों का संरक्षण था।
- यह समझौता 1975 में लागू हुआ।
- इस समझौते में भारत 1982 में शामिल हुआ।
- भारत में सम्पूर्ण भूमि के 4.7% पर आर्द्रभूमि फैली हुई है।
- वर्तमान में इस समझौते से 170 राष्ट्र जुड़े है।
- सम्मेलन के पक्षकार देशों के प्रमुख दायित्वों में आद्रभूमियों को 'अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की सूची में नामित करना, आर्द्रभूमि रिजर्व बनाना आदि है।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस(World Wetlands Day)
- 2 फरवरी 1971 को रामसर सम्मेलन हुआ था, फलस्वरूप 1997 से हर वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) मनाया जाता है।
- वर्ष 2023 के लिए विश्व आर्द्रभूमि दिवस का थीम “वेटलैंड रेस्टोरेशन” है।
मोंट्रेक्स रिकॉर्ड (Montreux Record)
- रामसर समझौते के अंतर्गत विश्व भर के संकटग्रस्त आर्द्रभूमियों की एक विशिष्ठ सूची बनाई गयी है जिसे 'Montreux Record' कहा जाता है।
- इस रिकॉर्ड के अंतर्गत पंजीकृत आर्द्रभूमि पर मानवीय क्रियाकलापों और प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभाओं पर निगरानी रखी जाती है।
- मोंट्रेक्स रिकॉर्ड रामसर सूची का ही एक अंग है किन्तु यह रिकॉर्ड विशिष्ठ आर्द्र स्थलों को सूचीबद्ध करता है।
- इस रिकॉर्ड में किसी नई आर्द्रभूमि का नाम अंकित करना हो अथवा निकालना हो तो उसके लिए कांफ्रेंस ऑफ़ द कांट्रेक्टिंग पार्टीज (1990) का अनुमोदन आवश्यक है।
- वर्तमान में विश्वभर की कुल 48 आर्द्रभूमियां, मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल है।
- वर्तमान में भारत की दो आर्द्रभूमियां इस रिकॉर्ड में अंकित हैं -
1. लोकटक झील (मणिपुर)
2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर, राजस्थान) - सन् 1993 में चिल्का झील को भी मोंट्रेक्स रिकॉर्ड की सूची में शामिल किया गया था क्योंकि वहाँ पर गाद (Siltation) की समस्या हो गयी थी किन्तु 2002 में चिल्का झील को इस सूची से हटाकर इसे 'रामसर संरक्षण पुरस्कार' दिया गया।
भारत के रामसर स्थल (Ramsar Sites in India)
वर्तमान में भारत के कुल 85 रामसर स्थल UNESCO द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।
क्र. सं. | रामसर स्थल | राज्य | वर्ष |
---|---|---|---|
1. | चिल्का झील | ओडिशा | 1981 |
2. | पक्षी अभ्यारण्य | राजस्थान | 1981 |
3. | लोकटक झील | मणिपुर | 1990 |
4. | वुलर झील | जम्मू-कश्मीर | 1990 |
5. | हरिके आर्द्रभूमि | पंजाब | 1990 |
6. | सांभर झील | राजस्थान | 1990 |
7. | कांजली झील | पंजाब | 2002 |
8. | रोपड़ आर्द्रभूमि | पंजाब | 2002 |
9. | कोलेरु झील | आंध्र प्रदेश | 2002 |
10. | अष्टमुडी झील | केरल | 2002 |
11. | पोंग बांध झील | हिमाचल प्रदेश | 2002 |
12. | वेम्बानद झील | केरल | 2002 |
13. | दीपोर बील | असम | 2002 |
14. | सस्थमकोट्टा झील | केरल | 2002 |
15. | त्सो मोरिरी झील | लद्दाख | 2002 |
16. | भोज आर्द्रभूमि | मध्य प्रदेश | 2002 |
17. | भितरकनिका मैंग्रोव | ओडिशा | 2002 |
18. | प्वाइंट कैलिमेर पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2002 |
19. | पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमि | पश्चिम बंगाल | 2002 |
20. | चंद्र ताल आर्द्रभूमि | हिमाचल प्रदेश | 2005 |
21. | रेणुका आर्द्रभूमि | हिमाचल प्रदेश | 2005 |
22. | होकेरा आर्द्रभूमि | जम्मू और कश्मीर | 2005 |
23. | सुरिसर-मनसर झील | जम्मू और कश्मीर | 2005 |
24. | रुद्रसागर झील | त्रिपुरा | 2005 |
25. | ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट से नरौरा तक) | उत्तर प्रदेश | 2005 |
26. | नलसरोवर पक्षी अभयारण्य | गुजरात | 2012 |
27. | सुंदरबन | पश्चिम बंगाल | 2019 |
28. | नंदुर मधमेश्वर झील | महाराष्ट्र | 2019 |
29. | नवाबगंज पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
30. | केशोपुर मियानी कम्युनिटी रिजर्व | पंजाब | 2019 |
31. | ब्यास संरक्षण रिजर्व | पंजाब | 2019 |
32. | नांगल वन्यजीव अभयारण्य | पंजाब | 2019 |
33. | सैंडी पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
34. | समसपुर पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
35. | समन पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
36. | पार्वती अर्गा पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
37. | सरसई नवर झील | उत्तर प्रदेश | 2019 |
38. | आसन संरक्षण रिजर्व | उत्तराखंड | 2020 |
39 | कंवर ताल | बिहार | 2020 |
40. | लोनार झील | महाराष्ट्र | 2020 |
41. | सुर सरोवर/कीथम झील | उत्तर प्रदेश | 2020 |
42. | त्सो कर आर्द्रभूमि | लद्दाख | 2020 |
43. | सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान | हरियाणा | 2021 |
44. | भिंडवास वन्यजीव अभ्यारण्य | हरियाणा | 2021 |
45. | थोल झील वन्यजीव अभ्यारण्य | गुजरात | 2021 |
46. | वधावन आर्द्रभूमि क्षेत्र | गुजरात | 2021 |
47. | हैदरपुर आर्द्रभूमि | उत्तर प्रदेश | 2021 |
48. | खिजड़िया पक्षी अभयारण्य | गुजरात | 2022 |
49. | बखिरा वन्यजीव अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2022 |
50. | करिकली पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
51. | पल्लीकरानई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट | तमिलनाडु | 2022 |
52. | पिचावरम मैंग्रोव | तमिलनाडु | 2022 |
53. | पाला आर्द्रभूमि | मिजोरम | 2022 |
54. | साख्य सागर | मध्य प्रदेश | 2022 |
55. | कूथनकुलम पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
56. | मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व | तमिलनाडु | 2022 |
57. | वेम्बान्नूर आर्द्रभूमि कॉम्प्लेक्स | तमिलनाडु | 2022 |
58. | वेल्लोड पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
59. | वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
60. | उदयमार्तंडपुरम पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
61. | सीरपुर आर्द्रभूमि | मध्य प्रदेश | 2022 |
62. | सतकोसिया गॉर्ज | ओडिशा | 2022 |
63. | नंदा झील | गोवा | 2022 |
64. | रंगनथिट्टू पक्षी अभयारण्य | कर्नाटक | 2022 |
65. | यशवंत सागर | मध्य प्रदेश | 2022 |
66. | ठाणे क्रीक | महाराष्ट्र | 2022 |
67. | हाइगम आर्द्रभूमि संरक्षण रिजर्व | जम्मू और कश्मीर | 2022 |
68. | शालबुग आर्द्रभूमि संरक्षण रिजर्व | जम्मू और कश्मीर | 2022 |
69. | टम्पारा झील | ओडिशा | 2022 |
70. | हीराकुड रिजर्व | ओडिशा | 2022 |
71. | अनसुपा झील | ओडिशा | 2022 |
72. | चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
73. | सुचिंद्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स | तमिलनाडु | 2022 |
74. | वडावुर पक्षी अभ्यारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
75. | कांजीरंकुलम पक्षी अभ्यारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
76. | अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण | कर्नाटक | 2024 |
77. | अघनाशिनी एस्चुएरी | कर्नाटक | 2024 |
78. | मगदी केरे रिजर्व | कर्नाटक | 2024 |
79. | कराईवेट्टी पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2024 |
80. | लॉन्गवुड शोला रिजर्व वन | तमिलनाडु | 2024 |
81. | नागी पक्षी अभयारण्य | बिहार | 2024 |
82. | नकटी पक्षी अभयारण्य | बिहार | 2024 |
83. | नांजारायन पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2024 |
84. | काझुवेली पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2024 |
85. | तवा जलाशय | मध्य प्रदेश | 2024 |
विश्व मौसम विज्ञान संगठन
(World Meteorological Organization)
मूल स्थापना | 1873 में अंतर्राष्ट्रीय मौसम संगठन (IMO) के रूप में |
पुनः स्थापित | 23 मार्च 1950 को विश्व मौसम संगठन (WMO) के रूप में |
मुख्यालय | जेनेवा, स्विट्जरलैण्ड |
संगठन का प्रारूप | 191 सदस्य देशों का अंतर-सरकारी संस्था (Intergovernmental Organization) |
Parent Organization | United Nations Economic and Social Council |
Website | public.wmo.int/ |
विश्व मौसम विज्ञान दिवस(World Meteorological Day)
- प्रतिवर्ष 23 मार्च को दुनिया भर में विश्व मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
- इस दिवस को मनाने का मुख्य कारण लोगों को मौसम विज्ञान और इसमें होने वाले बदलावों के प्रति जागरूक करना है।
- वर्ष 2023 के लिए इस दिवस का मुख्य विषय (Theme)- “जनरेशन के साथ मौसम, जलवायु और जल का भविष्य” है।
- विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर पर संगठन द्वारा दुनियाभर में कई प्रकार की डिबेट का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें बहुत सारे मौसम और जलवायु वैज्ञानिक मिलकर अपने विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते हैं।
Note: 📢