प्राचीन काल में लखनऊ कौसल राज्य का हिस्सा हुआ करता था। उत्तर मुग़ल काल में जब अवध के सूबेदार सआदत ख़ान ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित की तब लखनऊ की प्रसिद्धि प्रारंभ हुई। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफुद्दौला ने वर्ष 1775 (18 वीं सदी) में की थी। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। अवध की राजधानी पहली बार फैजाबाद के जगह लखनऊ स्थानांतरित करने का श्रेय नवाब आसफुद्दौला को ही जाता है। कालांतर में ब्रिटिश रेजिडेंट हरकोर्ट बटलर ने भी इसके सुसंगठित विकास में योगदान दिया। वर्तमान में लखनऊ नगर निगम (City Development Plan) के अनुसार महानगर के 55% से अधिक भूमि पर रिहायशी क्षेत्र विस्तृत है। 2011 के जनगणना के अनुसार लखनऊ सर्वाधिक जनसंख्या, सर्वाधिक पुरुष जनसंख्या और सर्वाधिक महिला जनसंख्या के मामले में पाँचवे स्थान पर है।
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History of Lucknow in Hindi | लखनऊ का इतिहास
- लखनऊ को नवाबों का शहर तथा बागों के शहर के उपनाम से भी जाना जाता है। अवध के अंतिम नवाब वजिद अली शाह ने वर्ष 1856 ईसवी में ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली, जिसके बाद लखनऊ में नवाबों का शासन लगभग समाप्त हो गया।
- 1857 ईसवी के क्रांति में अवध के तरफ से महान वीरांगना बेगम हज़रत महल ने अंग्रेजों से संघर्ष किया था। क्रांति के असफल होने के बाद बेगम हज़रत महल अपने बेटे नवाब बिरजिस कादिर के साथ नेपाल पलायन कर गई।
- 1877 ईसवी तक अवध का प्रशासनिक एवं उच्च न्यायिक मुख्यालय लखनऊ रहा तथा उत्तरी पश्चिमी प्रांत का इलाहाबाद था।
- 1920 ईसवी में प्रदेश की राजधानी इलाहाबाद से लखनऊ स्थानांतरित कर दिया गया, जबकि प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद में ही बना रहा।
- 1920 ईसवी में चुनावों के पश्चात 'संयुक्त प्रांत आगरा एवं अवध' (United Provinces of Agra and Awadh) की सरकार इलाहाबाद से लखनऊ स्थानांतरित कर दिया गया।
- 1921 ईसवी में लखनऊ में विधान परिषद की स्थापना की गई।
- 1935 ईसवी में प्रांतीय सचिवालय को भी इलाहाबाद से लखनऊ स्थानान्तरित करने के पश्चात लखनऊ को इस प्रांत की राजधानी घोषित कर दिया गया।
- 1937 ईसवी में इस प्रदेश का नाम 'संयुक्त प्रांत' पड़ा ।
- स्वतंत्रता के पश्चात 24 जनवरी 1950 को 'संयुक्त प्रांत' (United Provinces) का नाम उत्तर प्रदेश रखा गया। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस घोषित किया।
'लखनऊ' के कुछ महत्वपूर्ण कला-संस्कृति एवं प्रसिद्ध स्थल | Important Places & Culture of Lucknow in Hindi
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर शहर है जो अपनी शानदार कलाकृतियों एवं समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। यहां की कई महत्वपूर्ण स्थल एवं कलाएँ प्रसिद्ध हैं जो इस नगर को विशेष बनाते हैं।
बड़ा इमामबाड़ा | Bara Imambara in Hindi
- लखनऊ के "बड़ा इमामबाड़ा" को अवध के चौथे नवाब आसफुद्दौला ने 18वीं सदी (1780 से 1784 ईसवी के बीच) में बनवाया था, इसके वास्तुकार किफ़ायतउल्ला थे।
- इमामबाड़ा वह पवित्र स्थान या भवन है जो विशेष रूप से हज़रत अली (हज़रत मुहम्मद के दामाद) तथा उनके बेटों - हसन और हुसेन के स्मारक के रूप में निर्मित किया जाता है।
- इस इमामबाड़े में मिट्टी के गलियों का एक जटिल नेटवर्क है जिसे हम भूल-भुलैया के नाम से भी जानते है।
- यह इमामबाड़ा पश्चिम बंगाल के निजामत इमामबाड़े के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा इमामबाड़ा है।
- लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा एक विशाल परिसर है जो एक मस्जिद, आँगन, प्रवेश द्वार और बहते पानी वाली बावली को लेकर लगभग 50 हजार वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला है।
- इस इमामबाड़े में इस्तांबुल के ऑटोमन पोर्ट के तर्ज पर 60 फीट ऊँचा रूमी दरवाजा/तुर्की गेट का निर्माण करवाया गया है। इसके प्रवेश द्वार के दाहिने तरफ आसफ़ी मस्जिद अवस्थित है।
लखनऊ घराना | Lucknow Gharana in Hindi
- अवध के नवाब वाजिद अली शाह न केवल संगीत मर्मज्ञ कला प्रेमी थे अपितु स्वयं भी श्रेष्ठ संगीतज्ञ थे। वाजिद अली शाह का शासनकाल अवध की कला की दृष्टि से स्वर्ण युग कहा जा सकता है।
- वाजिद अली शाह रहस नृत्य का विशाल आयोजन करते थे साथ ही श्री कृष्ण की भूमिका भी स्वयं ही करते थे।
- विंदादीन ने 'सनद पिया' और वाजिद अली शाह ने 'अख्तार पिया' के उपनाम से ठुमरी की अनेक बंदिशे तैयार किए थे।
- ख्याल ध्रुवपद गायन की दृष्टि से लखनऊ संगीत का केंद्र रहा है।
- ख्याल गायकी को लखनऊ में लोकप्रिय बनाने वाले श्रेष्ठ गायकों में छज्जु ख़ान, मुराद अली, चाँद ख़ान और सूरज ख़ान उल्लेखनीय है।
- गुलाम रसूल के पुत्र मियां गुलाब नबी शोरी ने टप्पा शैली का प्रवर्तन किया।
- उस्ताद खुर्शीद अली ख़ान लखनऊ गायकी के पिता कहे जाते है।
- लखनऊ परंपरा को अनेक गायिकाओं ने भी समृद्ध किया है, इनमें रहिमत बाई, चंद्रा बाई, जसों बाई, जयसुख बाई, धन्नो बाई और शराफ़ों बाई का नाम प्रमुख है।
- नृत्य की कथक शैली हेतु लखनऊ घराने के शंभू महाराज, बिरजू महाराज और लच्छु महाराज का नाम उल्लेखनीय है।
लखनऊ ने अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के साथ एक अद्वितीय पहचान बनाई है। यह शहर अपनी गलियों, बाजारों, और ऐतिहासिक स्मारकों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करता है और पर्यटकों को एक यादगार अनुभव प्रदान करता है।