पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में प्रमुख रूप से दो संकल्पनाएं विख्यात है।
- अद्वैतवादी संकल्पना
- द्वैतवादी संकल्पना
पृथ्वी की उत्पत्ति के सिद्धांत |
अद्वैतवादी संकल्पना | एक तारक सिद्धांत | One Way Theory :
अद्वैतवादी संकल्पना को ही 'एक तारक सिद्धांत' (One Way Theory) भी कहते है। इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी तथा सौरमण्डल के सभी ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह तथा अन्य पिण्डों की उत्पत्ति एक तारे सूर्य से हुई है। इस सिद्धांत के अनुसार सौरमंडल की उत्पत्ति सूर्य से हुई है। 'कास्ते द बफन' ने वर्ष 1749 में सर्वप्रथम यह माना कि सौरमंडल की व्युत्पत्ति सूर्य के माध्यम से हुई है।
इस मत के आधार पर विद्वानों ने निम्नलिखित संकल्पनाएं प्रस्तुत की है-
गैसीय परिकल्पना (Gaseous Hypothesis) :
1755 ईसवी में 'इमैनुअल कान्ट' ने पृथ्वी के उत्पत्ति के संबंध में गैसीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया। यह सिद्धांत न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर आधारित था।
निहारिका परिकल्पना (Nebular Hypothesis) :
1796 ईसवी में फ्रांसीसी विद्वान 'लाप्लास' ने अपनी पुस्तक 'Exposition of World System' में पृथ्वी के संबंध में निहारिका परिकल्पना प्रस्तुत की थी।
इस सिद्धांत के अनुसार निहारिका की घूर्णन गति में तीव्रता के कारण अपकेंद्रीय बल में वृद्धि हुई और जब अपकेंद्रीय बल, गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक हुआ तो निहारिका से एक छल्ला अलग हो गया और यही छल्ला बाद में नौ छल्लों में टूट गया, इसी से ग्रहों का निर्माण हुआ।
द्वैतवादी संकल्पना | द्वितारक सिद्धांत | Dualistic Theory :
द्वैतवादी संकल्पना को ही 'द्वितारक सिद्धांत' (Dualistic Concept) भी कहते है। इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी तथा सौरमण्डल के सभी ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह तथा अन्य पिण्डों की उत्पत्ति सूर्य के साथ किसी अन्य तारें के सहयोग से हुआ है।
इस सिद्धांत के आधार पर विद्वानों ने निम्नलिखित परिकल्पनाएं प्रस्तुत की है-
ग्रहाणु परिकल्पना (Planetesimal Hypothesis) :
1904 ईसवी में 'चैम्बरलीन' तथा 'माल्टन' ने ग्रहाणु सिद्धांत प्रस्तुत की थी। इस परिकल्पना के अनुसार पृथ्वी एवं अन्य ग्रहों की उत्पत्ति सूर्य के साथ एक अन्य विशालकाय तारें के टकराने से हुई है। विशालकाय तारे के टक्कर से सूर्य के सतह पर से ग्रहाणु अलग हुए, ऐसे कणों के सूर्य का चक्कर लगाने के कारण ग्रह तथा उपग्रह का निर्माण हुआ।
ज्वारीय परिकल्पना (Tidal Hypothesis) :
1919 ईसवी में 'जेम्स जींस' ने तथा 1929 ईसवी में 'जेफ़रीज' ने एक संसोधन के साथ ज्वारीय परिकल्पना का प्रतिपादन किया। इसके अनुसार सूर्य से किसी अन्य विशालकाय तारें की टक्कर से सूर्य में ज्वार उत्पन्न हुआ। विशालकाय तारे की टक्कर के बाद अनेक पिंड सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने लगे।
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति | Life on the Earth :
- पृथ्वी पर आज से लगभग 460 करोड़ वर्ष पहले जीवन का विकास प्रारंभ हुआ।
- प्रारंभ में पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन का अभाव था। वातावरण में ऑक्सीजन की उपस्थिति 300 करोड़ साल पहले जल में उत्पन्न नील-हरित शैवाल (Blue-Green Algae) के स्वसन के माध्यम से हुआ था। जैसे-जैसे पृथ्वी पर ऑक्सीजन की उपस्थिति शुरू हुई पृथ्वी पर जीव-जन्तु का विकास प्रारंभ हुआ।
- पृथ्वी के आयु का निर्धारण 'यूरेनियम-डेटिंग विधि' से किया जाता है।
कृत्रिम उपग्रह | Satellite :
कृत्रिम उपग्रह वह यांत्रिक साधन है जो पृथ्वी के आसपास या उसके चारों दिशाओं में परिक्रमा करता है और विभिन्न उद्देश्यों के लिए मानव द्वारा डिज़ाइन किया जाता है। ये उपग्रह विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी होते हैं, जैसे दूरस्थ संवाद, नेविगेशन, जलवायु निगरानी, सूचना साझा करना, वैज्ञानिक अनुसंधान, और रक्षा इत्यादि।
1) भू-स्थिर कृत्रिम उपग्रह | Geostationary Satellite :
पृथ्वी से 36000 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर की अवस्थिति पाई जाति है। भू-स्थिर उपग्रह का आवर्तकाल लगभग 24 घंटा होता है।
2) ध्रुवीय कृत्रिम उपग्रह | Polar Satellite :
ध्रुवीय उपग्रह सामान्यतः 500 से 800 किमी की ऊंचाई पर उत्तर से दक्षिण दिशा में पृथ्वी का परिक्रमा करता है। इन उपग्रहों का आवर्तकाल लगभग 100 मिनट होता है। आवर्तकाल कम होने के कारण इस प्रकार के उपग्रह एक दिन में एक से अधिक बार पृथ्वी के प्रत्येक क्षेत्र से गुजर सकते हैं तथा इसके माध्यम से पृथ्वी के ज्यादातर क्षेत्रों का अध्ययन सरलता से किया जा सकता है।