ज्वालामुखी किसी ग्रह पर उपस्थित एक प्राकृतिक मुख या दरार है जिससे पृथ्वी या किसी अन्य ग्रह के गर्भ में उपस्थित पिघला हुआ पदार्थ - लावा, राख़, वाष्प या गैस के रूप में बाहर निकलता है। Volcano शब्द रोमन भाषा से लिया गया शब्द है, जिसका सम्बन्ध रोमन पौराणिक कथाओं के अग्नि देवता 'Volcan' से है। ज्वालामुखी से उत्सर्जित होने वाली गैसों में सबसे अधिक मात्रा जलवाष्प की होती है। ज्वालामुखी उद्गार में लावा, राख व गैस के साथ म्यूमिस व लैपिली आदि भी निकलते है। मैग्मा में सिलिका की मात्रा अधिक होने पर ज्वालामुखी में विस्फोटक उद्गार होते है। जब कि सिलिका कि मात्रा कम होने पर उद्गार प्रायः शांत होते है। भारत में अंडमान-निकोवार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर एक सक्रिय ज्वालामुखी अवस्थित है। बैरन द्वीप ग्रेट निकोवार के उत्तर में अवस्थित है। बैरन द्वीप के ज्वालामुखी में 1991 में उद्गार हुआ था तब से यहाँ दो या तीन वर्षों पर उद्गार होता रहता है।
क्या है मैग्मा तथा लावा (Difference between Magma and Lava in Hindi)
- मैग्मा चट्टानों का पिघला हुआ रूप है जिसकी रचना ठोस, आधी पिघली हुई अथवा पूरी तरह पिघली चट्टानों के द्वारा होती है और जो पृथ्वी के सतह के नीचे निर्मित होता है।
- ये मैग्मा जब ज्वालामुखी उद्गार द्वारा धरातल पर आते हैं तो इन्हे लावा कहते है।
- लावा अधिक वाष्पशील होते है जब कि मैग्मा कम वाष्पशील होती है।
- जहां पर मैग्मा का निर्माण होता है उस स्थान को Hot Spot (तप्त स्थल) कहते है।
- धरातल पर बादल के रूप में उड़ा हुआ लावा जल्दी ही ठंडा होकर छोटे-छोटे ठोस टुकड़ो में बदल जाता है जिसे 'सिंडर' कहते है।
- धरातल पर फैले हुए लावा समय के साथ वायुमंडल के प्रभाव में आकर धीरे-धीरे जमने लगते है और जमने के बाद बड़े-बड़े चट्टानों और पत्थरों का निर्माण करते है।
ज्वालामुखी क्रिया (Volcanic-action in Hindi)
ज्वालामुखी क्रिया के अंतर्गत धरती के आंतरिक भाग में मैग्मा तथा गैसों के उत्पत्ति से लेकर उनके धरातल पर अग्रसर होने, धरातल के नीचे प्रविष्ट होने तथा ठंड एवं ठोस होकर रवेदार या अर्द्ध-रवेदार चट्टानों के निर्माण तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया सम्मिलित किया जाता है, इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को हम ज्वालामुखीयता (Volcanism) कहते है। ज्वालामुखी से उत्पन्न होने वाली गैसों में सबसे अधिक मात्रा जल-वाष्प की होती है। ज्वालामुखी उद्गार में लावा, राख, गैस, लैपिली, म्यूमिस इत्यादि निकलते है। मैग्मा में सिलिका की मात्रा यदि अधिक होती है तो ज्वालामुखी में भयंकर तथा विस्फोटक उद्गार होते है और यदि सिलिका की मात्रा कम होती है तो उद्गार प्रायः शांत होता है।
ज्वालामुखी क्रिया के अंग (Part of Volcanic Activity)
- ज्वालामुखी छिद्र: इसी छिद्र के माध्यम से ज्वालामुखी उद्गार होता है।
- ज्वालामुखी शंकु: जब लावा और अन्य पिघले हुए पदार्थ छिद्र के चारों तरफ जमा होने लगते है, तब ज्वालामुखी शंकु का निर्माण होता है।
- ज्वालामुखी नली: तप्त स्थल (Hot Spot) से ज्वालामुखी छिद्र तक जो पतला दरार होता है उसे ज्वालामुखी नली कहते है।
- ज्वालामुखी का मुख: जब छिद्र काफी बड़ा हो जाता है तो उसे ज्वालामुखी का मुख कहते है।
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Volcanism |
ज्वालामुखीयता (Volcanism) से संबंधित प्रक्रियाएँ
- पृथ्वी की गहराई में बढ़ने के साथ प्रत्येक 32 मीटर पर लगभग 1 डिग्री सेल्सियस की दर से तापमान में वृद्धि होती जाती है।
- इस प्रकार ज्वालामुखीयता (Volcanism), Hot Spot से लेकर छिद्र तक घटित होती है।
- मैग्मा ज्वालामुखी नली के माध्यम से छिद्र तक आता है, मैग्मा जब धरातल पर आता है तो लावा के रूप में अत्यंत वाष्पशील हो जाता है और कुछ तो बादल के रूप में फैल जाते है।
ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcano)
उद्गार के तीव्रता के आधार पर :
- सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcano)
- प्रसुप्त ज्वालामुखी (Dormant Volcano)
- मृत ज्वालामुखी (Extinct Volcano)
सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcano)
सक्रिय ज्वालामुखी एक ऐसा ज्वालामुखी है जिससे लावा, गैस एवं अन्य पदार्थों का सदैव उद्गार होता रहता है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में लगभग 500 ऐसे ज्वालामुखी है जो की सक्रिय ज्वालामुखी के श्रेणी में आते है।
- इस प्रकार के ज्वालामुखियों में इटली का 'एटना' एवं भूमध्य सागर का 'स्ट्रांबोली ज्वालामुखी' विश्व प्रसिद्ध है।
- स्ट्रांबोली को भूमध्य सागर का प्रकाश स्तम्भ भी कहते है।
- माउंट एटना एक सक्रिय ज्वालामुखी है, जो यूरोप के इटली देश के सिसली द्वीप पर अवस्थित है।
- भारत में अंडमान-निकोवार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर इस प्रकार का ज्वालामुखी अवस्थित है।
- मौनालोआ ज्वालामुखी हवाई द्वीप (अमेरिका) में 4170 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक सक्रिय ज्वालामुखी है।
- विश्व के 80% सक्रिय ज्वालामुखी मध्यमहाद्वीपीय पेटी (Mid-Continental Belt) और परि-प्रशांत पेटी (Circum-Pacific Belt) में पाए जाते है।
- कोटापैक्सी, दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के इकवाडोर देश में स्थित एक सक्रिय ज्वालामुखी है।
- विश्व का सर्वाधिक सक्रिय ज्वालामुखी कीलायू है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के हवाई दीप पर अवस्थित है।
- यूरेशिया की सबसे ऊंची सक्रिय ज्वालामुखी 'क्लुचेव्स्काया सोपका' (Kluchevskaya Sopka Volcano) है। वर्ष 2023 में इस ज्वालामुखी में तीन बार विस्फोट हो चुका है।
- क्लुचेव्स्काया सोपका' (Kluchevskaya Sopka Volcano) एक स्ट्रेटो वाल्कैनो है, यह पूर्वी रूस के कामचटका प्रायद्वीप पर एक सक्रिय ज्वालामुखी है, जिसकी ऊंचाई 15584 फीट (4750 मीटर) है। वर्ष 1700 के बाद से इसमे 50 से अधिक बार विस्फोट हो चुका है।
प्रसुप्त ज्वालामुखी (Dormant Volcano)
ऐसे ज्वालामुखियों में अचानक ही प्रस्फुटन हो जाता है, इनके उद्गार का कोई निश्चित समय नहीं होता है। इनमे कभी-कभी अनन्त काल तक भी उद्गार नही होता और कभी-कभी तो इनका उद्गार विशाल स्वरूप धारण कर लेता है। इस प्रकार के ज्वालामुखियों के उदाहरण स्वरूप जापान का 'फ्यूजियामा' और इटली का 'विसुवियस' प्रमुख है। रोमन भूगोलवेत्ता प्लिनी (Pliny the Elder) ने सर्वप्रथम ऐसे ज्वालामुखियों पर सर्वेक्षण किया था इस कारण इन ज्वालामुखियों को 'प्लिनियन प्रकार का ज्वालामुखी' भी कहते है। भारत में अंडमान-निकोवार के नारकोंडम द्वीप पर इसी प्रकार का ज्वालामुखी अवस्थित है।
मृत ज्वालामुखी (Extinct Volcano)
मृत ज्वालामुखी ऐसी ज्वालामुखी होती है जो कि लगभग शांत हो गयी होती है और इनके उद्गार की सम्भावना अत्यंत कम होती है। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि इनमे उद्गार होगा ही नहीं, बहुत से ऐसे भी मृत ज्वालामुखी प्राप्त हुए है जिनमे बहुत समय बीतने के उपरांत भयंकर उद्गार हुआ है। इसके लिए अफ्रीका का माउंट किलिमंजारो एक बेहतर उदाहरण है। विश्व की सबसे ऊंचाई पर स्थित मृत ज्वालामुखी एकांकागुआ, चिली और अर्जेन्टीना की सीमा (एंडीज पर्वतमाला) पर अवस्थित है।
विस्फोटकता के आधार पर (On the basis of Explosiveness):
- हवाई तुल्य ज्वालामुखी (Hawaiian Eruption)
- वाल्कैनो तुल्य ज्वालामुखी (Volcanic Eruption)
- स्ट्रोमबोली तुल्य ज्वालामुखी (Strombolian Eruption)
- विसुवियस तुल्य ज्वालामुखी (Vesuvian Eruption)
- पिलीयन तुल्य ज्वालामुखी (Pelean Eruption)
हवाई तुल्य ज्वालामुखी (Hawaiian Eruption)
इस प्रकार के ज्वालामुखियों का उद्गार शांत ढंग से होता है तथा इनमें विस्फोट अत्यंत कम होता है। इनमें विस्फोट कम होने का मुख्य कारण सिलिका की मात्रा कम होने से लावा का पतला होना तथा गैस की तीव्रता में कमी का होना पाया जाता है।
वाल्कैनो तुल्य ज्वालामुखी (Volcanic Eruption)
ऐसे ज्वालामुखियों में प्रायः ही प्रस्फुटन हो जाता है, इनका उद्गार विशाल स्वरूप धारण कर लेता है। इस ज्वालामुखी का नामकरण भूमध्य सागर में स्थित लिपारी द्वीप के प्रसिद्ध वाल्कैनो ज्वालामुखी के नाम पर रखा गया है। इनका आकार प्रायः फूलगोभी जैसा होता है।
स्ट्रोमबोली तुल्य ज्वालामुखी (Strombolian Eruption)
इस प्रकार की ज्वालामुखी, हवाई तुल्य ज्वालामुखी से कम तीव्रता से प्रकट होती है। इसके लावा में अम्ल की मात्रा कम होती है। स्ट्रोम्बोली ज्वालामुखी, भूमध्य सागर में सिसली द्वीप के उत्तर में अवस्थित है।
विसुवियस तुल्य ज्वालामुखी (Vesuvian Eruption)
यह ज्वालामुखी वलकैनियन प्रकार के होते है, किन्तु इनके गैसों की तीव्रता अधिक होने के कारण ये आकाश में अधिक ऊंचाई तक फैलते है। इसमें ज्वालामुखी बादल फूलगोभी की तरह दिखता है।
पिलीयन तुल्य ज्वालामुखी (Pelean Eruption)
इस प्रकार की ज्वालामुखी सबसे अधिक विनाशकारी होती है। ऐसे ज्वालामुखियों का उद्गार सबसे अधिक विस्फोटक एवं भयंकर होता है। इन ज्वालामुखियों से निकलने वाला लावा अधिक चिपचिपा और लसरदार होता है। इनके उद्गार से पहले शंकु पूर्णतया नष्ट हो जाते है। इंडिनेशिया के जावा और सुमात्रा के मध्य स्थित क्राकाटाओ ज्वालामुखी, पिलीयन तुल्य ज्वालामुखी है।
ज्वालामुखी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य तथा प्रमुख ज्वालामुखी :
- अग्नि वलय (Ring of Fire) प्रशांत महासागर क्षेत्र में सर्वाधिक भूकंप तथा ज्वालामुखी से प्रभावित क्षेत्र है। विश्व का लगभग 68% भूकंप इसी क्षेत्र में अनुभव किया जाता है।
- किलिमंजारों एक ज्वालामुखी पर्वत है जो अफ्रीका महाद्वीप के तंजानिया देश में अवस्थित है।
- बैरन द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान-निकोबार के राजधानी पोर्टब्लेयर से 135 किमी दूर उत्तर-पूर्व में अवस्थित है। यह भारत ही नहीं अपितु दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है।
- विश्व का सबसे ऊंचा, सक्रिय ज्वालामुखी दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के इकवाडोर में स्थित माउंट कोटापैक्सी है।
- ज्वालामुखी पर्वत सेंट हेलन्स संयुक्त राज्य अमेरिका के कास्कैड श्रेणी (वाशिंगटन) में स्थित है। इसकी ऊंचाई 2949 मीटर है।