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ब्रह्मांड तथा सौरमण्डल | UNIVERSE AND SOLAR SYSTEM IN HINDI

नेबुला, लैटिन भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ धुंध या बादल होता है। निहारिका (Nebula), मुख्य रूप से हाइड्रोजन व धूल कणों के बादल होते हैं।

ब्रह्मांड का अध्ययन हम खगोल विज्ञान (Cosmology) के अंतर्गत करते है। खगोल विज्ञान में हम ब्रह्मांड के विस्तार, विभिन्न छोटे तथा बड़े पिण्ड, ग्रह-उपग्रह, तारों इत्यादि का अध्ययन करते है। 

इस लेख में हम विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले विश्व भूगोल विषय के ब्रह्मांड एवं सौरमण्डल अध्याय का सामान्य अध्ययन करेंगे। लेख में कोशिश किया गया है कि केवल परीक्षा संबंधित तथ्य एवं जानकारी उपलब्ध रहे और प्रत्येक टॉपिक को यथासंभव संक्षिप्त करने का प्रयास किया गया है। हमे आशा है कि प्रस्तुत लेख आपके विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु सहायता प्रदान करेगा।


विश्व का भूगोल

🌌 ब्रह्मांड की उत्पत्ति (Origin of the Universe)

ब्रह्मांड की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों ने अनेक सिद्धांत प्रस्तुत किए है, उनमे सबसे प्रसिद्ध बिग-बैंग सिद्धांत (Big Bang Theory) सर्वाधिक प्रचलित है। बिग बैंग सिद्धांत का प्रतिपादन जॉर्ज लैमेन्तेयर ने किया है। 

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने वर्ष 2001 में MAP (Microwave Anisotropy Probe) नामक अनुसंधान द्वारा इसकी पुष्टि की थी। 

इस सिद्धांत के अनुसार वर्तमान से 13.7 अरब साल पहले एक महा-विस्फोट हुआ था जो कि अत्यंत छोटे गोलक (एकाकी परमाणु) पर अत्यंत सूक्ष्म भाग से प्रस्फुटित हुआ था। प्रस्फुटित होने वाले एकाकी परमाणु का आयतन अत्यधिक सूक्ष्म तथा तापमान और घनत्व अनंत था।

🌀 निहारिका (Nebula in Hindi)

नेबुला, लैटिन भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ धुंध या बादल होता है। निहारिका (Nebula), मुख्य रूप से हाइड्रोजन व धूल कणों के बादल होते हैं। वास्तव में यह तारों के निर्माण का प्रथम चरण होते हैं, इसमें उपस्थित गैस के पुंज समयानुसार विकसित होते हुए घने गैसीय पिंड का रूप ले लेते हैं जिससे तारों का निर्माण होता है।

💫 आकाशगंगा (Galaxy in Hindi)

आकाश गंगा करोड़ों-अरबों तारों और गैसों के बादलों का एक समूह होता है। एक आकाशगंगा में असंख्य तारें होते है। ढेर सारे आकाशगंगा मिलकर ब्रह्मांड का निर्माण करते है। 

एक आकाशगंगा का व्यास 80 हजार से 1 लाख 50 हजार प्रकाशवर्ष के बीच हो सकता है। एक आकाशगंगा में अनेक सौरमण्डल हो सकते है, किसी एक तारे को जब अनेक पिंड, ग्रह आदि चक्कर लगाते है तो इस पूरे तंत्र (system) को सौरमण्डल (Solar System) कहते है। 

हमारा सौरमण्डल, मिल्की-वे गैलेक्सी (दुग्ध मेखला आकाशगंगा) में स्थित है। संरचना के आधार पर आकाशगंगा को हम तीन रूपों में विभक्त कर सकते है - 

  1. सर्पाकार आकाशगंगा (Spiral Galaxies)
  2. दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगा (Elliptical Galaxies)
  3. अनियमित आकाशगंगा (Irregular Galaxies)

aakash ganga kya hai apna upsc
Spiral Galaxy

सर्पाकार आकाशगंगा
(Spiral Galaxies)

इस प्रकार की आकाशगंगा डिस्क के समान विस्तृत होती है तथा इसकी भुजाएँ सर्पाकार होती हैं। हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे इसी प्रकार की आकृति वाली आकाशगंगा है। इस प्रकार की अकाशगंगाएं देखने में अत्यंत सुंदर दिखती है।

दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगा
(Elliptical Galaxies)

इस प्रकार की आकाशगंगा दीर्घवृत्ताकार एवं गोलाकार आकृति बनाती हैं। इन आकाशगंगाओं में अत्यंत पुराने तथा विकसित तारें होते है। ब्रह्मांड की अधिकांश आकाशगंगाएं इसी श्रेणी की है। ज्ञात दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगाओं में माफेई-1 (Maffei-1) का नाम सर्वोपरि है।

अनियमित आकाशगंगा
(Irregular Galaxies)

इस प्रकार की आकाशगंगा का आकार अनियमित आकृति की होती है। सेक्टाँस-ए (Sextans-A) ज्ञात अनियमित आकाशगंगाओं में सबसे बड़ी है।

✨ तारे (Stars in Hindi)

अंतरिक्ष में उपस्थित तारे एक चमकीले विभिन्न गैसों से परिपूर्ण उच्च तापीय पिण्ड होते है। इन पिण्डों का निर्माण मुख्य रूप से हीलियम तथा हाइड्रोजन गैसों से होता है। 

तारों के अंदर नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया होती है। इन प्रकाशीय पिण्डों के पास स्वयं की ऊष्मा तथा प्रकाश होता है, ये अन्य पर निर्भर नही करते। उदाहरण के लिए सूर्य एक तारा है जिसके पास स्वयं की ऊष्मा तथा प्रकाश है। 

गुरुत्वाकर्षण के कारण सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले पिण्ड ग्रह, क्षुद्रग्रह, पुच्छलतारा अथवा धूल कण इत्यादि हैं जो कि अपने तारे सूर्य के प्रकाश एवं ऊष्मा पर निर्भर करते है। 

हमारे सौरमण्डल से सबसे निकटतम तारा प्रॉक्सीमा सेंचुरी (Proxima Centauri) है, जिसकी हमारे ग्रह पृथ्वी से दूरी 4.28 प्रकाशवर्ष है। प्रायः एक तारे में 70% हाइड्रोजन, 28% हीलियम, 1.5% कार्बन और 0.5% अन्य गैसें होती है। 

तारों का रंग उनके नियमित वर्णक्रम (Spectrum) अर्थात उनके तरंगदैर्ध्य के विकिरण के तीव्रता के आधार पर निर्धारित की जाती है। किसी भी तारे का रंग उसके तापमान पर निर्भर करता है। 

एक निश्चित आकृति में व्यवस्थित तारों के समूह को हम नक्षत्र अथवा तारामण्डल कहते है। तारामण्डल के उदाहरणों में हाइड्रा, सप्तऋषि मण्डल आदि सम्मिलित है। सप्तऋषि तारामण्डल के तारे ध्रुव तारे की ओर संकेत करते है, सप्तऋषि तारा मण्डल 7 तारों का समूह है जिसकी आकृति बड़े चम्मच के भांति होता है।

तारों का जीवन चक्र
(Life cycle of stars)

किसी तारे का जीवन चक्र उसमें वर्तमान हाइड्रोजन की मात्रा पर निर्भर करता है। किसी तारे की आयु उसमें उपस्थित हाइड्रोजन की मात्रा के घटने के साथ-साथ घटता है। अंततः तारा 'लाल दानव' (Red Dwarf) में परिवर्तित हो जाता है, इसके उपरांत लाल दानव तारे का भविष्य उसके द्रव्यमान पर निर्भर करता है। 

यदि तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के लगभग बराबर हो तो वह तारा श्वेत वामन (White Dwarf) बन जाता है, उसका समस्त हाइड्रोजन हीलियम में परिवर्तित हो जाता है और उसका प्रकाश लगभग समाप्त हो जाता है। 

वर्ष 1983 में भौतिक शास्त्र में नोबेल विजेता डॉक्टर सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने व्हाइट ड्वॉर्फ तारे के नक्षत्रों के संबंध में एक सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसके लिए उन्होंने एक द्रव्यमान सीमा निर्धारित की थी, जिसे चंद्रशेखर लिमिट कहा गया। इस लिमिट (सीमा) का मान सूर्य के द्रव्यमान से 1.44 गुना (1.44ms/1.44 Mass of Sun) है। यदि तारे का द्रव्यमान 1.44ms से कम होता है, तो वह अपनी नाभिकीय ऊर्जा को खोकर श्वेत वामन (व्हाइट ड्वॉर्फ) में बदल जाता है। इसे जीवाश्म तारा (Fossil Star) भी कहते है। समय के साथ-साथ श्वेत वामन तारा काले वामन (Black dwarf) तारे में बदल जाता है। ये अंततः एक ब्लैक हॉल में परिवर्तित हो जाते है जिनका गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि प्रकाश भी इससे बच निकल नही सकता। 

'ब्लैक हॉल' की जानकारी सर्वप्रथम डॉक्टर सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने ही दिया था। 1.44 ms से अधिक द्रव्यमान वाले तारों में सुपरनोवा विस्फोट होता है जिससे न्यूट्रॉन तारों (पल्सर) अथवा ब्लैक हॉल का निर्माण होता है।

🪐 सौरमण्डल (Solar system in Hindi)

सूर्य तथा उसका चक्कर लगाने वाले आठ ग्रह, बौने-ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का पिण्ड, धूमकेतु, गैस, धूलकण इत्यादि पिण्ड सम्मिलित रूप से हमारे सौरमण्डल की रचना करते है, इस मण्डल में पाए जाने वाले किसी भी प्रकार के ग्रह अथवा पिण्ड इसके सदस्य होते है।

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☀️ सूर्य (Sun in Hindi)

सूर्य, हमारे सौरमंडल का मुख्य केंद्र एवं स्रोत है। सूर्य, मिल्की-वे आकाशगंगा में स्थित एक तारा है जिसका तापमान 5500° सेल्सियस से 6000° सेल्सियस तक है। सूर्य तथा अन्य तारों में ऊर्जा का स्रोत नाभिकीय संलयन प्रक्रिया है। सूर्य के केंद्र में उपस्थित पदार्थों में 'प्लाज्मा' प्रमुख है।

🌐 ग्रह (Planet in Hindi)

प्लेनेट शब्द ग्रीक भाषा के प्लेनेटाई (Planetai) से आया है, जिसका अर्थ परिक्रमक अर्थात चारों तरफ परिक्रमा करने वाला आकाशीय पिण्ड होता है जिसके पास स्वयं की ऊष्मा एवं प्रकाश नहीं होता। 

ग्रह अपने तारों के प्रकाश से चमकते हैं। पृथ्वी एक ग्रह है जो कि सूर्य के प्रकाश से ऊर्जावान एवं प्रकाशमान रहती है, सूर्य से इसकी एक विशेष दूरी है जिससे इसपर द्रव अपनी अवस्था में बना रहता है जिससे इस ग्रह पर जीवन संभव है। ग्रह जिस पथ पर अपने तारें का परिक्रमा करते हैं उस दीर्घ वृत्ताकार पथ को कक्षा कहते हैं। अपने तारे के परिक्रमा के साथ-साथ ग्रह अपने अक्ष पर भी घूमते रहते हैं।

🌒 उपग्रह (Satellite in Hindi)

'Satellite' शब्द का अर्थ है- साथी अथवा सहचर, जो कि अपने ग्रह की परिक्रमा करते हैं। अपने ग्रह की परिक्रमा करने के साथ-साथ ये उपग्रह अपने तारे की भी परिक्रमा पूरी करते हैं। हमारे सौरमण्डल में अब तक लगभग 290 प्राकृतिक उपग्रहों की खोज हो चुकी है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा है। मानव द्वारा निर्मित उपग्रहों को कृत्रिम उपग्रह (Artificial satellite) कहते है।

🌑 क्षुद्रग्रह (Asteroid in Hindi)

ये एक प्रकार के छोटे-छोटे ग्रहीय पिण्ड होते है जो कि अपने तारे की परिक्रमा करते है। हमारे सौरमण्डल में मंगल ग्रह एवं बृहस्पति ग्रह के बीच छोटे-छोटे पिण्डों का झुंड है, जिसे क्षुद्र ग्रह की पट्टी/बेल्ट कहते हैं। क्षुद्र ग्रह, उस ग्रह के टुकड़े होते हैं जो कि अपने जन्म के बाद विस्फोटित होकर बिखर जाता है।

🌠 उल्कापिण्ड (Meteorite in Hindi)

उल्कापिण्ड भी अपने तारे के आस-पास चक्कर लगाने वाले छोटे पिण्ड होते है, कभी-कभी ये धरती के इतने निकट आ जाते हैं कि ये पृथ्वी से टकराने के अवस्था में आ जाते है किन्तु पृथ्वी के वायुमंडल से इसके घर्षण के कारण यह वायुमंडल में ही गर्म होकर जल जाते है एवं नष्ट हो जाते है जिससे पृथ्वी पर एक बहुत बड़ा खतरा टल जाता है। जब ये पिण्ड बिना नष्ट हुए किसी तरह धरातल से टकरा जाते हैं तो पृथ्वी पर गड्ढे (गर्त) बन जाते है।

☄️ पुच्छलतारा या धूमकेतु (Comet in Hindi)

धूमकेतु धूल, बर्फ, चट्टान, धातु इत्यादि से निर्मित पिण्ड होते हैं जो कि अपने तारे का चक्कर लगाते हैं। इन पिण्डों के एक तरफ गैस और धूल से निर्मित पुंछ के समान आकृति होती है इसीलिए इसे पुच्छलतारा भी कहते है। पुच्छलतारा सौरपरिवार के स्थायी सदस्य होते हैं जो कि परवलयाकार पथ पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इनके पुंछ सदैव सूर्य से विपरीत दिशा में होते है। हैली नामक पुच्छल तारा 76 वर्षों के बाद पृथ्वी से दिखाई देता है, आखिरी बार इसे वर्ष 1986 में देखा गया था।

🪐 हमारे सौरमण्डल के ग्रह
(Planets of Our Solar system in Hindi)

वर्तमान में हमारे सौरमण्डल में कुल 8 ग्रह माने गए हैं। वर्ष 2006 में चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में हुए अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) की बैठक में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटाकर बौने ग्रह के श्रेणी में डाल दिया गया, इस प्रकार वर्ष 2006 से पहले प्लूटो समेत कुल 9 ग्रह माने जाते थे। सूर्य से दूरी के आधार पर आठों ग्रहों का क्रम निम्न प्रकार है- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण। आकार के बढ़ते क्रम के अनुसार सौरमण्डल के ग्रहों के क्रमों का विवरण निम्न प्रकार है- बुध, मंगल, शुक्र, पृथ्वी, अरुण, वरुण, शनि एवं बृहस्पति।

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बुध (Mercury in Hindi)

बुध (Mercury) सूर्य से सबसे निकट का ग्रह है। सूर्य से इसकी दूरी 58 मिलियन (5.8 करोड़) किमी है। यह सबसे छोटा ग्रह भी है। इसका व्यास 4880 किमी है तथा इसका घनत्व 5.43 ग्राम/घन सेमी है। इसका कोई उपग्रह नहीं है। यह अपने अक्ष पर एक घूर्णन 59 दिन में तथा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा सबसे कम 88 दिन में करता है।

शुक्र (Venus in Hindi)

शुक्र (Venus) पृथ्वी के सर्वाधिक निकट का ग्रह है। यह सूर्य से 108 मिलियन (10.8 करोड़) किमी दूर है। इसका औसत व्यास लगभग 12104 किमी तथा घनत्व 5.24 ग्राम/घन सेमी है। यह अपने अक्ष पर एक घूर्णन 243 दिन में तथा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा 225 दिनों में पूरी करता है। इसका कोई उपग्रह नहीं है। यह आकार तथा द्रव्यमान में पृथ्वी के समान है, इसलिए पृथ्वी को इसकी जुड़वाँ बहन (The Twin Sister of Earth) कहा जाता है। यह सर्वाधिक चमकीला तथा सर्वाधिक तापमान वाला ग्रह (Hottest Planet) है, इसे 'शाम का तारा' तथा 'भोर का तारा' भी कहा जाता है।

पृथ्वी (Earth in Hindi)

पृथ्वी (Earth) सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरा तथा आकार में पाँचवाँ बड़ा ग्रह है। यह ध्रुवों पर चपटी है तथा आकार व बनावट में शुक्र के समान है। यह सूर्य से लगभग 150 मिलियन किमी (14.96 करोड़ किमी) दूर है। इसका विषुवत रेखीय व्यास 12755.6 किमी तथा ध्रुवीय व्यास 12712 किमी है तथा घनत्व 5.51 ग्राम/धन सेमी है। यह अपने अक्ष पर एक घूर्णन 1 दिन में अर्थात् 24 घंटे तथा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा लगभग 365 दिनों में पूरी करती है। चंद्रमा, पृथ्वी का एक मात्र प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellite) है।

मंगल (Mars in Hindi)

मंगल, सौरमंडल में सूर्य से दूरी के क्रम में चौथा तथा आकार में सातवाँ बड़ा ग्रह है। यह सूर्य से 228 (22.8 करोड़) मिलियन किमी दूर है। इसका व्यास लगभग 6800 किमी तथा घनत्व 3.93 ग्राम/घन सेमी है। यह अपने अक्ष पर एक घूर्णन 1 दिन में अर्थात् 24 घंटे तथा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा 687 दिनों में पूरी करता है। फोबोस और डीमोस मंगल के दो उपग्रह हैं, इस ग्रह पर सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत ओलिम्पस मीन्स अवस्थित है, इसे लाल ग्रह (Red Planet) भी कहा जाता है। ↓

बृहस्पति (Jupiter in Hindi)

बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह सर्वाधिक तेज गति से घूर्णन करने वाला ग्रह है। यह सूर्य से 778 मिलियन (77.8 करोड़) किमी दूर है। इसका व्यास 1,42,800 किमी तथा घनत्व 1.33 ग्राम/घन सेमी है। यह अपने अक्ष पर एक घूर्णन 10 घंटे में तथा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण 11.86 वर्ष अर्थात् लगभग 12 वर्ष में पूरी करता है। इसे 'मास्टर ऑफ गॉड्स' (Master of Gods) की भी उपमा दी जाती है।

शनि (Saturn in Hindi)

शनि (Saturn) सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह सूर्य से 1427 मिलियन (142.7 करोड़) किमी दूर है। इसका औसत घनत्व 0.687 ग्राम/घन सेमी है, जो सभी ग्रहों में सबसे कम है। यह अपने अक्ष पर एक घूर्णन 10 घंटे 40 मिनट में तथा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा 20 वर्ष 5 महीने में पूरी करता है। शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है।

अरुण (Uranus in Hindi)

यूरेनस को 'God of Heavens' भी कहा जाता है। यह आकार में सौरमंडल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह सूर्य से 2869 मिलियन (286.9 करोड़) किमी दूर है। इसका व्यास लगभग 51,800 किमी है तथा औसत घनत्व 1.27 ग्राम/घन सेमी है। यह अपने अक्ष पर एक घूर्णन 17 घंटे 14 मिनट में तथा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा 84 वर्ष में पूरी करता है।

वरुण (Naptune in Hindi)

नेप्चयून को God of Sea भी कहा जाता है। यह सौरमंडल का चौथा सबसे बड़ा ग्रह है, जो सूर्य से 4496 मिलियन (449.6 करोड़) किमी दूर है। इसका व्यास लगभग 49424 किमी है। इसका औसत घनत्व 1.64 ग्राम/घन सेमी है। यह अपने अक्ष पर एक घूर्णन 16 घंटे 7 मिनट में तथा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा 164 वर्ष में पूरी करता है। वर्तमान में इसके उपग्रहों की संख्या 14 है।

ग्रहों के आरोही/अवरोही क्रम

आकार के अनुसार ग्रहों का अवरोही (घटता हुआ) क्रम

बृहस्पति > शनि > अरुण > वरुण > पृथ्वी > शुक्र > मंगल > बुध

द्रव्यमान के अनुसार ग्रहों का अवरोही (घटता हुआ) क्रम

बृहस्पति > शनि > वरुण > अरुण > पृथ्वी > शुक्र > मंगल > बुध

घनत्व के अनुसार ग्रहों का अवरोही (घटता हुआ) क्रम

पृथ्वी > बुध > शुक्र > मंगल > वरुण > अरुण > बृहस्पति > शनि

दूरी तथा परिक्रमण अवधि के आधार पर आरोही क्रम

बुध (87.9 दिन) < शुक्र < पृथ्वी (365.25 दिन) < मंगल (11.86 वर्ष) < बृहस्पति < शनि < अरुण < वरुण (164.8 वर्ष)

परिक्रमण वेग के आधार पर अवरोही क्रम

बुध > शुक्र > पृथ्वी > मंगल > बृहस्पति > शनि > अरुण > वरुण

Note: 📢
उपरोक्त डाटा में कोई त्रुटि होने या आकड़ों को संपादित करवाने के लिए साथ ही अपने सुझाव तथा प्रश्नों के लिए कृपया Comment कीजिए अथवा आप हमें ईमेल भी कर सकते हैं, हमारा Email है 👉 upscapna@gmail.com ◆☑️

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A teacher is a beautiful gift given by god because god is a creator of the whole world and a teacher is a creator of a whole nation.

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