For more study material join our Whatsapp Channel Join Now!

Pages

भारत की अंतिम जनगणना 2011 रिपोर्ट | Final Data of India-Census 2011

भारत का क्षेत्रफल (32,87,263 वर्ग किमी) विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4% है, जबकि भारत की जनसंख्या, सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या का 17.5% है।

भारत में पहली बार जनगणना 1872 ईसवी में लॉर्ड मेयो के कार्यकाल में हुई थी, किन्तु 1881 ईसवी से लॉर्ड रिपन के कार्यकाल से प्रत्येक दस वर्ष के अंतराल पर क्रमवार एवं सुव्यवस्थित ढंग से आकलन प्रारंभ हो गया। भारत के प्रथम जनगणना आयुक्त डब्ल्यू. सी. प्लाउडेन थे। वर्ष 2011 का जनगणना स्वतंत्र भारत का 7 वाँ जनगणना था जिसका शुभंकर एक 'प्रगणक शिक्षिका' को बनाया गया था जबकि जनगणना-2011 का स्लोगन "हमारी जनसंख्या हमारा भविष्य" था। 

Uttar Pradesh census report - 2011
भारत की जनगणना रिपोर्ट- 2011

भारत की कुल जनसंख्या - 2011

  वर्ष         देश की कुल जनसंख्या     पुरुष         महिला    
2001    1,02,87,37,436 53,22,23,090 (51.73%) 49,65,14,346 (48.27%)
2011     1,21,08,54,977 62,32,70,258 (51.47%) 58,75,84,719 (48.53%)

वर्ष 2001 के जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या लगभग 102.87 करोड़ थी जो कि वर्ष 2011 के जनगणना के अनुसार लगभग 121.08 करोड़ हो गई। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की दशकीय वृद्धि दर 17.70% है। वर्ष 2011 की जनगणना भारत की 15 वीं एवं स्वतंत्र भारत की 7 वीं जनगणना है, वही 21 वीं शताब्दी की दूसरी जनगणना है। भारत का क्षेत्रफल (32,87,263 वर्ग किमी) विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4% है जबकि भारत की जनसंख्या, सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या का 17.5% है।

भारत की दशकीय वृद्धि दर के आंकड़े
(जनगणना - 2011)

  राज्य/के. शा. प्र.         दशकीय वृद्धि दर
 💢 दादरा और नगर हवेली  55.88
 💢 दमन एवं दीव  53.76%
 💢 पुददुचेरी  28.08%
 💢 मेघालय  27.95%
 💢 अरुणाचल प्रदेश  26.03%
 💢 बिहार  25.42%
 💢 मणिपुर  24.50%
 💢 जम्मू कश्मीर  23.64%
 💢 मिजोरम  23.48%
 💢 छत्तीसगढ़  22.61%
 💢 झारखंड  22.42%
 💢 राजस्थान  21.31%
 💢 दिल्ली  21.21%%
 💢 मध्य प्रदेश  20.35%
 💢 उत्तर प्रदेश  20.23%

भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले पाँच राज्य
(जनगणना - 2011)

 💢 उत्तर प्रदेश  19,98,12,341 (16.51%)
 💢 महाराष्ट्र  11,23,74,333 (9.28%)
 💢 बिहार  10,40,99,452 (8.60%)
 💢 पश्चिम बंगाल  9,12,76,115 (7.54%)
 💢 आंध्र प्रदेश  84,580,777 (6.99%)

भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले पाँच केंद्र शासित प्रदेश
(जनगणना - 2011)

 💢 दिल्ली  1,67,87,941
 💢 पुददुचेरी  12,47,953
 💢 चंडीगढ़  10,55,450
 💢 अंडमान निकोबार  3,80,581
 💢 दादरा और नगर हवेली  3,43,709

क्षेत्रफल की दृष्टि से : भारत के राज्य

 💢 सबसे बड़ा राज्य  राजस्थान
 💢 सबसे छोटा राज्य  गोवा
 💢 सबसे बड़ा केंद्र शासित प्रदेश  अंडमान एवं निकोबार
 💢 सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश  लक्षद्वीप

जनसंख्या की दृष्टि से : 2011

 💢 सबसे बड़ा राज्य  उत्तर प्रदेश
 💢 सबसे छोटा राज्य  सिक्किम
 💢 सबसे बड़ा केंद्र शासित प्रदेश  दिल्ली
 💢 सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश  लक्षद्वीप

लिंगानुपात की दृष्टि से : 2011

 💢 सर्वाधिक लिंगानुपात वाला राज्य  केरल (1084)
 💢 सबसे कम लिंगानुपात वाला राज्य  हरियाणा (879)
 💢 सर्वाधिक लिंगानुपात वाला केंद्र शासित प्रदेश  पुदुचेरी (1037)
 💢 सबसे कम लिंगानुपात वाला केंद्र शासित प्रदेश  दमन एवं दीव (618)
 💢 सर्वाधिक शिशु (0-6) लिंगानुपात वाला राज्य  अरुणांचल प्रदेश (972)
 💢 सर्वाधिक शिशु (0-6) लिंगानुपात वाला केंद्रशासित प्रदेश  अंडमान एवं निकोबार (968)
 💢 न्यूनतम शिशु (0-6) लिंगानुपात वाला राज्य  हरियाणा (834)
 💢 न्यूनतम शिशु (0-6) लिंगानुपात वाला केंद्रशासित प्रदेश  दिल्ली (871)

जनघनत्व की दृष्टि से : 2011

 💢 सर्वाधिक जनघनत्व वाला राज्य  बिहार (1106)
 💢 सर्वाधिक जनघनत्व वाला केंद्रशासित प्रदेश  दिल्ली (11320)
 💢 न्यूनतम जनघनत्व वाला राज्य  अरुणाचल प्रदेश (17)
 💢 न्यूनतम जनघनत्व वाला केंद्र शासित प्रदेश  अंडमान एवं निकोबार (46)

साक्षरता की दृष्टि से : 2011

 💢 सर्वाधिक साक्षरता वाला राज्य  केरल (94%)
 💢 सर्वाधिक साक्षरता वाला केंद्रशासित प्रदेश  लक्षद्वीप (91.80%)
 💢 न्यूनतम साक्षरता वाला राज्य  बिहार (61.80%)
 💢 न्यूनतम साक्षरता वाला केंद्र शासित प्रदेश  दादरा एवं नगर हवेली (76.20%)

भारत में जनगणना

जनगणना एक राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित महत्वपूर्ण गणना प्रक्रिया है जिसमें एक देश के सभी नागरिकों की जनसंख्या, उनके सामाजिक, आर्थिक, और अन्य प्रमुख विशेषताओं का संग्रह और विश्लेषण किया जाता है। यह डेटा सरकारों को नीतियों और कार्यक्रमों की योजना बनाने और संसाधनों का प्रबंधन करने में मदद करता है।

भारत में दशकीय जनगणना का संचालन महारजिस्ट्रार और जनगणना आयुक्त के कार्यालय, गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है। यह कार्यालय जनगणना की प्रक्रिया को संचालित करते हैं और जनसंख्या डेटा को संकलित, विश्लेषित और प्रस्तुत करते हैं। 

1951 तक, प्रत्येक जनगणना के लिए एक विशेष संगठन की स्थापना की गई थी, जो उस समय के आधार पर जनगणना की प्रक्रिया को संचालित करता था।

भारतीय जनगणना का इतिहास

भारत की जनगणना का इतिहास प्राचीन काल से शुरू होता है, जब ऋग्वेद में जनसंख्या के आँकड़ों का उल्लेख मिलता है। मध्यकाल में, मौर्य साम्राज्य और मुगल काल में भी जनगणना के प्रमाण मिलते हैं।

लेकिन, आधुनिक जनगणना की शुरुआत 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासनकाल में हुई।

प्रमुख चरण:

1872: पहली गैर-तुल्यकालिक जनगणना गवर्नर जनरल लॉर्ड मेयो के अधीन आयोजित की गई।

1881: पहली तुल्यकालिक जनगणना 17 फरवरी को डब्ल्यू.सी. प्लौडेन द्वारा करवाई गई।

1901: तीसरी जनगणना में बलूचिस्तान, राजपूताना, अंडमान निकोबार, बर्मा, पंजाब और कश्मीर के सुदूर इलाकों को शामिल किया गया।

1921: "द ग्रेट डिवाइड" वर्ष: 1911-21 के दशक में जनसंख्या में पहली बार गिरावट देखी गई।

1951: स्वतंत्रता के बाद, 1951 में पहली जनगणना हुई।

1991: साक्षरता की अवधारणा को बदल दिया गया, 7+ आयु वर्ग के बच्चों को साक्षर माना गया।

2001: प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ा, हाई स्पीड स्कैनर और ICR का इस्तेमाल किया गया।

2011: पहली बार EAG राज्यों में जनसंख्या में गिरावट देखी गई।

2021: कोविड-19 के कारण स्थगित, यह पहली डिजिटल और स्व-गणना जनगणना होगी।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • जनगणना हर 10 साल में आयोजित की जाती है।
  • 2021 की जनगणना में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की गणना भी शामिल होगी।
  • यह भारत की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण चित्रण प्रदान करती है।
  • योजना बनाने और नीति निर्धारण में मदद करती है।

निष्कर्ष:

भारत की जनगणना न केवल जनसंख्या की गणना करती है, बल्कि यह देश के सामाजिक-आर्थिक विकास का भी आईना है। यह विभिन्न समुदायों, क्षेत्रों और राज्यों के बीच समानता और असमानता को उजागर करती है।

यह डेटा महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने और सभी नागरिकों के लिए बेहतर भविष्य बनाने में मदद करता है।


Note: 📢
उपरोक्त डाटा में कोई त्रुटि होने या आकड़ों को संपादित करवाने के लिए साथ ही अपने सुझाव तथा प्रश्नों के लिए कृपया Comment कीजिए अथवा आप हमें ईमेल भी कर सकते हैं, हमारा Email है 👉 upscapna@gmail.com ◆☑️

About the Author

A teacher is a beautiful gift given by god because god is a creator of the whole world and a teacher is a creator of a whole nation.

2 टिप्पणियां

  1. Nice
  2. शहरी विकास की चुनौतियाँ:-

    शहरी विकास की चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं-

    1. पर्यावरणीय चुनौतियाँ

    • पर्यावरण सुरक्षा के आधार पर शहरी विकास एक बड़ी चुनौती है। तीव्र प्रौद्योगिकीय विकास के कारण शहरों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अधिक व्यापक है।

    • यातायात के साधनों का विस्तार तथा सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में कमी के कारण पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाले तत्त्वों का विस्तार हुआ है।

    2. स्वास्थ्य समस्याएँ

    • शहरीकरण तथा शहरों की जनसंख्या में हुई वृद्धि के कारण स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ का विस्तार हुआ है।

    • शहरों के विस्तार से गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases) का विस्तार हुआ है। अस्वास्थ्य आहार तथा मादक पदार्थों के सेवन से स्वास्थ्य सेवाएँ बढ़ी हैं।

    3. रोजगार के अवसरों का अभाव

    • शहरी क्षेत्रों में प्रवासी व्यक्ति रोजगार प्राप्त करने की आशा में आते हैं, किंतु जब उन्हें योग्यता एवं कौशल के अनुरूप रोजगार नहीं मिलता है, तब वे शहरी क्षेत्रों में असंतोष में वृद्धि करते हैं।

    • अर्द्ध-शिक्षित तथा अकुशल व्यक्तियों को लगातार रोजगार नहीं मिलने से भी सामाजिक अपसंस्कृति का प्रभाव सामने आता है।
Please do not enter any spam link in the comment box.
Cookie Consent
We serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.