आचार्य विनोबा भावे |
मूल नाम | विनायक नरहरी भावे |
जन्म | 11 सितम्बर 1895, रायगढ़ (महाराष्ट्र) |
मृत्यु | 15 नवम्बर 1982 (उम्र 87), वर्धा (महाराष्ट्र) |
राष्ट्रीयता | भारत |
कार्य-क्षेत्र | स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा प्रसिद्ध गांधीवादी नेता |
पुरस्कार | अन्तर्राष्ट्रीय रेमन मेगसेसे पुरस्कार (1958), भारत रत्न (1983) |
आचार्य विनोबा भावे: सामान्य जीवन परिचय
विनोबा भावे का जन्म महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के एक गांव गागोदा में हुआ था। गागोदा, रायगढ़ जिले का एक गाँव है। विनोबा भावे का मूल नाम विनायक नरहरि भावे था। आचार्य विनोबा भावे को भारत का राष्ट्रीय अध्यापक माना जाता है। विनोबा भावे आध्यात्मिक विचारधारा के थे उन्हे गांधी जी के आध्यात्मिक शिष्य के रूप में भी जाना जाता है।
15 वर्ष की आयु में हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होने फ्रेंच भाषा को चुना। आचार्य विनोबा भावे को व्यक्तिगत सत्याग्रह एवं भारत छोड़ो आंदोलन के लिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हे जेल में कैद कर दिया, जेल में आचार्य विनोबा ने तीन किताबे लिखी। 9 जुलाई 1945 को उन्हे जेल से रिहा किया गया। विनोबा भावे ने शराब के दुष्परिणामों के बारे में लोगो में जागरूकता फैलाई।
गांधीजी के साथ जुड़ाव
गांधीजी और विनोबा भावे के बीच पहली मुलाकात 7 जून 1916 को अहमदाबाद के कोचरब आश्रम में हुई थी। इस मुलाकात ने विनोबा भावे के जीवन को एक नई दिशा दी, और वे गांधीवादी दर्शन के सच्चे अनुयायी बन गए। गांधीजी के साथ उनकी निकटता और उनके विचारों से प्रेरित होकर, विनोबा भावे ने स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधार के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई।
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
विनोबा भावे को व्यक्तिगत सत्याग्रह एवं भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के लिए ब्रिटिश सरकार ने जेल में डाल दिया। जेल में उन्होंने तीन महत्वपूर्ण किताबें लिखीं। 9 जुलाई 1945 को उन्हें जेल से रिहा किया गया। जेल में बिताए समय ने उनके विचारों को और भी पक्का किया और उन्हें लेखन के माध्यम से समाज को जागरूक करने का अवसर दिया।
सामाजिक सुधार और शराब विरोधी अभियान
विनोबा भावे ने शराब के दुष्परिणामों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाया। उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करने के लिए निरंतर प्रयास किए। उनके प्रयासों से कई लोग शराब जैसी बुराइयों से मुक्त हुए और समाज में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया।
महाराष्ट्र धर्म पत्रिका
1923 में विनोबा भावे ने 'महाराष्ट्र धर्म' नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया। इस पत्रिका का उद्देश्य समाज में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना था। लोगों की अत्यधिक रुचि के कारण यह पत्रिका बाद में साप्ताहिक पत्रिका के रूप में प्रकाशित होने लगी। यह पत्रिका तीन सालों तक प्रकाशित होती रही और समाज में जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण माध्यम बनी।
सर्वोदय आंदोलन (Sarvodaya Movement)
सर्वोदय का विचार "सर्वे भवन्तु सुखिनः" से लिया गया है। सर्वोदय का तात्पर्य संसार के प्रत्येक प्राणी के समान उदय (उत्थान) से है। आचार्य विनोबा भावे को सर्वोदय नेता के रूप में भी जाना जाता है। इस आंदोलन का विचार गाँधी जी ने जॉन रस्किन की किताब 'Unto this Last' से प्रेरित होकर लिया था।
सर्वोदय के विचारों के अंतर्गत समाज में हो रहे भेद-भाव, शोषणों और अन्यायों को दूर कर शांति की स्थापना करने का लक्ष्य है। विनोबा भावे गाँधी जी के सर्वोदय विचारधारा के प्रबल समर्थक थे। आचार्य विनोबा ने भूदान आंदोलन के माध्यम से गांधी जी के सर्वोदय के विचार को आगे बढ़ाया। सर्वोदय के विचार के अंतर्गत ही आचार्य विनोबा भावे ने 'जय जगत' का नारा दिया था।
भूदान आंदोलन (Bhoodan Movement OR Land Gift Movement)
मृत्यु और सम्मान
आचार्य विनोबा भावे द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तकें
- Thoughts On Education - शिक्षा के महत्व और उसके समाज पर प्रभाव पर विचार।
- The Essence of the Quran - कुरान की शिक्षाओं का सार और उसकी व्याख्या।
- Talks on the Gita - भगवद गीता के गूढ़ और आध्यात्मिक संदेशों का विश्लेषण।
- इस्लाम का पैगाम - इस्लाम के मूल संदेश और शिक्षाओं की प्रस्तुति।
- Women's Power - नारी सशक्तिकरण और महिला अधिकारों पर विचार।
- Swaraj and Lokniti (State and Politics) - स्वराज और भारतीय राजनीति पर गांधीजी के विचार।
- गीता प्रवचन - भगवद गीता के उपदेशों की व्याख्या।
- The Intimate and the Ultimate - जीवन और अस्तित्व के गहरे प्रश्नों पर विचार।
- अहिंसा की तलाश - अहिंसा के सिद्धांत और उसके सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव।
- अष्टादशी - विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों की 18 प्रमुख शिक्षाओं का संकलन।
- धम्मपदं - गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का संकलन। .....इत्यादि